Computer क्या है और कितने तरह के होते हैं ?
Computer हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है. Office हो या घर हर जगह इसकी मदद से हम अपना काम बहुत ही आसानी से और अच्छे तरीके से कर पाते हैं.
चाहे आप किसी भी department डिपार्टमेंट में काम करते हो, Computer knowledge होना बहुत जरूरी है. computer science ने पूरी दुनिया का नक्शा ही बदल दिया है.
चाहे Online ticket reservation हो या Online hotel booking या किसी को Online money transfer करना हो, कंप्यूटर के मदद के बिना संभव नहीं है.
इस Post के माध्यम से हम जानेंगे की Computer क्या है. इसका क्या उपयोग है. कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं. और कौन-कौन से Computer parts होते हैं.
इस blog के माध्यम से Computer से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे. जैसे कि कंप्यूटर क्या है (Computer kya hai). कंप्यूटर का इस्तेमाल क्यों करते हैं . कंप्यूटर कैसे चलाते हैं. कंप्यूटर का फुल फॉर्म क्या है.
सबसे पहले इसकी शुरुआत Computer basic से करते हैं. कंप्यूटर का जो स्वरूप आज हम देखते हैं, शुरुआती तौर पर वह ऐसा नहीं था. पहले यह आकार में आज की तुलना में बहुत बढ़ा हुआ करता था. जैसा कि आपको पता होगा और आपने देखा भी होगा . आज के युग का कंप्यूटर इतना छोटा भी है जिसे आप बहुत आसानी से अपने पॉकेट में भी रख सकते हैं.
कंप्यूटर क्या है – What is computer in Hindi
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र (electronic machine) है. जो हमारे द्वारा दिए गए data को लेकर उसे process करके result उपलब्ध कराता है. आसान भाषा में कहा जाए तो हम कह सकते हैं कि यह एक ऐसा मशीन है जो हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार काम करता है.
कंप्यूटर तक data पहुंचाने के लिए हम keyboard और mouse का प्रयोग करते हैं. दूसरी तरफ Computer हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों का result उपलब्ध कराने के लिए monitor और printer का उपयोग करता है.
INPUT =======> PROCESSING =======> OUTPUT
“Computer” शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘Computare’ से हुआ है. जिसका अर्थ हिंदी में – गणना करना होता है . इसलिए आपको पता होगा की कंप्यूटर को हिंदी में संगणक भी कहा जाता है
कंप्यूटर किसी भी काम को बहुत तेजी और कुशलता से कर सकता है. किसी भी काम को कंप्यूटर के माध्यम से करने के लिए, पहले Computer को Program करना होता है.
Programming के माध्यम से हम Computer को instruction देते हैं और उसे बताते हैं कि इस काम को कैसे किया जाए.
आदमी द्वारा किए गए काम में गलती होने की संभावना है. पर कंप्यूटर के माध्यम से हम उसी काम को बिना किसी गलती के कर सकते हैं.
कंप्यूटर का फुल फॉर्म (Full form of computer)
Computer का फुल फॉर्म है Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Educational Research
C – Common
O – Operating
M – Machine
P – Purposely
U – Used
T – Technological
E – Educational
R – Research
शुरुआती तौर पर कंप्यूटर का इस्तेमाल सिर्फ तकनीकी और शैक्षणिक संस्थानों के लिए किया जाता था. पर आज के समय में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां पर computer का इस्तेमाल ना होता हो.
अभी तक आप समझ चुके होंगे की Computer क्या है. Computer का इस्तेमाल क्यों करते हैं. कंप्यूटर का फुल फॉर्म क्या है (Computer full form).
अब हम जानेंगे कि कंप्यूटर की संरचना ( Computer Architecture) कैसी है. कंप्यूटर का इतिहास (History of computer) क्या है. कंप्यूटर की विशेषता क्या है.
मुख्य रूप से कंप्यूटर का क्या काम है
जैसा कि हमने पहले भी इस बारे में बात की है. कंप्यूटर का हमारे जीवन के हरे क्षेत्र में योगदान है. कंप्यूटर द्वारा किए गए कार्यों को चार श्रेणी में रखकर देखते हैं.
1. इनपुट (Input): इसके माध्यम से हम अपनी बात को कंप्यूटर तक पहुंचाते हैं. तकनीकी तौर पर कहा जाए तो हम कह सकते हैं की Command या Data को कंप्यूटर तक पहुंचाने की प्रक्रिया को input कहा जाता है. इसके लिए हम Keyboard या Mouse का प्रयोग करते हैं.
2. प्रोसेसिंग (Processing): जब हम इनपुट की मदद से Command या Data को कंप्यूटर तक पहुंचा देते हैं, तब प्रोसेसिंग की प्रक्रिया शुरू होती है. इस प्रक्रिया में हमारे द्वारा दिए गए Instruction और सॉफ्टवेयर (Program) की मदद से कंप्यूटर कार्य को संपन्न करता है. जिसके फल स्वरुप हमें Result या Output प्राप्त होता है.
3. आउटपुट (Output): कार्य संपन्न होने के बाद कंप्यूटर result को Output की मदद से हम तक पहुंचाता है. जिसके लिए वह Monitor या Printer का प्रयोग करता है.
4. स्टोरेज (Storage): हमारे द्वारा दिया गया Dtata को कंप्यूटर अपने पास सुरक्षित store करके रखता है. जिसे स्टोरेज कहते हैं. इसके लिए अलग-अलग तरह के hardware devices का प्रयोग करता है. जैसे कि SSD, HHD, Pendrive .
कंप्यूटर की परिभाषा क्या है? (Definition of computer in hindi)
एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन जो दिए गए निर्देशों के अनुसार और Software Program की मदद से डाटा को स्टोर और प्रोसेस करता है. यह बायनरी के रूप में काम करता है.
कंप्यूटर एक मशीन है जिसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के माध्यम से स्वचालित रूप से अंकगणित या तार्किक संचालन के अनुक्रम को पूरा करने के लिए निर्देश दिया जा सकता है.
बायनरी (binary) मतलब 0 और 1. इसका मतलब यह हुआ कि कंप्यूटर किसी भी डाटा या निर्देश को 0 और 1 के रूप में समझता है और store करता है.
Definition of computer in English
“An electronic device for storing and processing data, typically in binary form, according to instructions given to it in a variable program.“
कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया (who is the father of computer):
चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है. Charles Babbage एक ब्रिटिश मैकेनिकल इंजीनियर थे जिन्होंने programmable computer की कल्पना की. मतलब की एक ऐसा कंप्यूटर जिसे हम अपनी जरूरत के अनुसार Program कर सकें.
चार्ल्स बैबेज का जन्म 26 दिसंबर 1791 को लंदन में हुआ था. और इनकी मृत्यु 18 अक्टूबर 1871 को 79 वर्ष की आयु में हुआ. चार्ल्स बैबेज जाने-माने गणितज्ञ, फिलॉस्फर, आविष्कारक और मैकेनिकल इंजीनियर थे.
इन्होंने 19वीं सदी के शुरुआत में एक मैकेनिकल कंप्यूटर की संरचना तैयार की और बनाया. जिसे डिफरेंस इंजन (Difference Engine) के नाम से जाना जाता है. इसमें Punched card की मदद से data को मशीन तक पहुंचाया जाता था. Output के लिए मशीन से एक printer लगा हुआ था.
कंप्यूटर की संरचना (Architecture of computer in Hindi)
जैसा कि हमें पता है कि कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है. यह आकार में भिन्न-भिन्न हो सकता है. मतलब कुछ कंप्यूटर बहुत बड़े आकार के हो सकते हैं तो कुछ बहुत छोटे आकार के. पर इन सब की बुनियादी संरचना एक ही है.

किसी भी कंप्यूटर में इनपुट (Input device) जरूर होगा. जिसके माध्यम से हम निर्देश को (Instruction) को कंप्यूटर तक पहुंचा सकते हैं. आउटपुट डिवाइस (Output device) भी आवश्यक है. क्योंकि इसी के माध्यम से हम अपने रिजल्ट (Result) को देख सकते हैं. हमारे द्वारा दिए गए इंस्ट्रक्शन को प्रोसेस (Process) करने के लिए Central Processing Unit का होना भी आवश्यक है. इन सारे कामों को अच्छे ढंग से करने के लिए Memory की आवश्यकता होती है.
अब बारी बारी से हर एक यूनिट के बारे में विस्तार से बात करते हैं:
इनपुट यूनिट (Input Unit) : इसके माध्यम से हम कंप्यूटर में जरूरी निर्देश और data को पहुंचाते हैं. कोई भी ऐसा डिवाइस जिसके द्वारा कंप्यूटर तक निर्देश सूचना को पहुंचाते हैं उसे इनपुट यूनिट के अंतर्गत माना जाता है. मुख्य रूप से कीबोर्ड और माउस का प्रयोग करते हैं.
इनपुट डिवाइस के मुख्य उदाहरण है :
Digital video – डिजिटल वीडियो
Graphics tablet – ग्राफिक टेबलेट
Image scanner – फोटो स्कैनर
Joystick – जॉय स्टिक
Microphone – माइक्रोफोन
Mouse – माउस
Real-time clock – रियल टाइम क्लॉक
Trackball – ट्रैकबॉल
Touchscreen – टच स्क्रीन
Computer keyboard – कंप्यूटर कीबोर्ड
Digital camera – डिजिटल कैमरा
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) : इसे संक्षेप में सीपीयू (CPU) भी कहते हैं. कंप्यूटर का यह हिस्सा Data Processing के लिए जिम्मेदार होता है. यह कंप्यूटर का मुख्य भाग होते हैं, जो सारी गणना करता है. CPU के मुख्य भाग्य – कंट्रोल यूनिट (Control unit), प्रोसेसर (Processor), मेन मेमोरी (Main memory), अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (ALU)
कंट्रोल यूनिट (Control Unit) की जिम्मेदारी पूरे कंप्यूटर को नियंत्रित करने का होता है. यह हमारे द्वारा भेजे गए डाटा (Data) और निर्देश (Instruction) का विश्लेषण (Analysis) करता है और प्रोसेसिंग (Processing) के लिए भेजते हैं. यह कंप्यूटर के इनपुट (Input device) और आउटपुट डिवाइस (Output device) को नियंत्रित रखता है.
अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (ALU) का काम तार्किक (Logical) और अंकगणितीय (Arithmetical) से संबंधित कार्यों को प्रोसेस करना होता है. यह प्रोसेसर (Processor) के अंदर एक डिजिटल सर्किट (Digital Circuit) होता है.
मेमोरी यूनिट (Memory Unit) : यह कंप्यूटर का बहुत महत्वपूर्ण भाग होता है. इसके बिना किसी भी काम को करना संभव नहीं है. इसका मुख्य कार्य हमारे द्वारा दिए गए इनपुट डाटा को प्रोसेसिंग के समय संग्रहित ((Store data) करना होता है. यह बहुत तेज (Fast) होता है.
जिस तरह हमारे दिमाग में मेमोरी (Memory) होता है और उसका काम इंफॉर्मेशन को जमा (Store) करना होता है. ठीक उसी तरह कंप्यूटर सिस्टम (Computer system) के अंदर मेमोरी (memory) काम करता है.
हमने अब जान लिया है की मेमोरी क्या होता है (What is memory). और यह क्या काम करता है. अब हम जानेंगे की मेमोरी कितने तरह का (Types of memory) होता है.
मेमोरी मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं – प्रथम मेमोरी (Primary memory) और द्वितीय मेमोरी (Secondary memory).
Primary memory के अंतर्गत RAM (Random Access Memory) और ROM (Read Only Memory) आता है . Secondary memory के अंतर्गत SSD, HDD, CD इत्यादि को रखते हैं.
RAM (Random Access Memory) को मुख्य मेमोरी भी कहते हैं. इसके अंदर Read and Write का गुण (Capacity) होता है. इसका मतलब यह हुआ कि यह डाटा या प्रोग्राम (Data and Program) को पढ़ सकता है और अपने अंदर जमा (Store) भी कर सकता है. जब CPU किसी काम को कर रहा होता है तो उसमें इस्तेमाल होने वाला Data और Program दोनों RAM के अंदर Store होते हैं. इसे परिवर्तनशील मेमोरी (Volatile Memory) भी कहते हैं . क्योंकि जब Computer System को हम बंद (Power off) करते हैं, तब इसके अंदर store किया हुआ सारा data समाप्त हो जाता है. इसके भी दो टाइप (Types of RAM) होते हैं – SRAM (Static Random Access Memory) और DRAM (Dynamic Random Access Memory )
ROM (Read Only Memory) के अंदर कंप्यूटर को चलाने के लिए महत्वपूर्ण प्रोग्राम (Program) होते हैं. जैसे कि कंप्यूटर को Start करने का प्रोग्राम (Boot related program) . यह एक अपरिवर्तनशील (non-volatile) मेमोरी है. इसका मतलब यह हुआ की कंप्यूटर के बंद होने या चालू होने से इसके अंदर Store information समाप्त नहीं होता है. यह चार प्रकार के होते हैं – ROM, PROM, EPROM, and EEPROM.
PROM (Programmable read-only memory) – यह User के द्वारा programmed किया जाता है. और एक बार programmed होने के बाद डाटा (data) और निर्देश (Instruction) को नहीं मिटाया जा सकता है.
EPROM (Erasable Programmable read only memory – इसे हम फिर से reprogrammed कर सकते हैं. इसकी भीतर के सारे डाटा और निर्देश को (Data and Instruction) मिटाने के लिए ultra violet light का इस्तेमाल करते हैं. इसे reprogrammed करने के बाद सारे पुराने data समाप्त हो जाते हैं.
EEPROM (Electrically erasable programmable read only memory) – इस तरह के ROM में से डाटा और निर्देश (Data and Instruction) को मिटाने के लिए ultra violet light की जरूरत नहीं होती है. इसे हम इलेक्ट्रिक फील्ड (electric field) की मदद से मिटा सकते हैं.
अब हम Secondary Memory के बारे में बात करते हैं. यह मुख्यतः 3 तरह के होते हैं – पाटा (PATA), साटा (SATA) और एसएसडी (SSD)
Parallel Advanced Technology Attachment (PATA) – यह अपने आप में पहला हार्ड डिस्क (Hard disk) था जिसमें Parallel ATA interface का इस्तेमाल किया गया था हार्ड डिस्क को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए.
Serial ATA (SATA) : आज के समय में अधिकांश Home desktop और Laptop में इसी हार्ड डिस्क का इस्तेमाल किया जाता है. यह पाटा (PATA) की तुलना में बहुत ज्यादा fast होता है. और यह पाटा से बहुत कम Electric power का इस्तेमाल करता है.
Solid State Drives (SSD) – यह अब तक का सबसे latest drive है. इसमें flash memory technology का इस्तेमाल किया गया है. यह अब तक के सारे हार्ड डिस्क की तुलना में बहुत ज्यादा fast है. इसकी कीमत भी अन्य हार्ड डिस्क की तुलना में ज्यादा होती है. इसके अंदर data transfer करने की क्षमता बहुत तेज होती है और Power consumption भी बहुत कम है.
आउटपुट यूनिट (Output Unit) : इसके माध्यम से कंप्यूटर (Computer Systems) Processing result को हम तक पहुंचाते हैं. मुख्य रूप से मॉनिटर (Monitor) और प्रिंटर (Printer) आउटपुट यूनिट है.
आउटपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण है-
Printer – प्रिंटर
Computer monitor – कंप्यूटर मॉनिटर
Projector – प्रोजेक्टर
Sound card – साउंड कार्ड
Video card – वीडियो कार्ड
PC speaker – स्पीकर
कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer in Hindi):
कंप्यूटर को हम बहुत सारे आधार पर विभाजित कर सकते हैं. यहां पर हमने कंप्यूटर को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जाता है –
1. आकार के आधार पर (Based on Size)
2. कार्य के आधार पर (Based on Work)
3. उद्देश्य के आधार पर (Based on Purpose)
आकार के आधार पर (Based on Size) : जैसा कि हमने post के शुरुआत में ही आपको बता दिया था की कंप्यूटर आकार में बहुत बड़ा और वह छोटा भी हो सकते हैं.
सुपर कंप्यूटर (Supercomputer) : यह एक ऐसा कंप्यूटर होता है जिसकी क्षमता अन्य कंप्यूटर की तुलना में कई गुना ज्यादा होती है. यह कोई भी काम या गणना बहुत तेजी के साथ कर सकता है. इस तरह के कंप्यूटर का इस्तेमाल कुछ विशेष कार्य (Special Purpose) के लिए ही किया जाता है. क्योंकि यह बहुत महंगे और बड़े होते हैं. इस तरह की कंप्यूटर की क्षमता को मापने के लिए floating-point operations per second (FLOPS) का इस्तेमाल करते हैं. दुनिया के सबसे तेज चलने वाले Supercomputer अपने ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के रूप में लाइनस (Linux) का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह की कंप्यूटर का इस्तेमाल मुख्य रूप से quantum mechanics, climate research, oil and gas exploration, molecular modeling, weather forecasting किया जाता है.
मेनफ्रेम कंप्यूटर (Mainframe Computer): यह एक ऐसा कंप्यूटर है जिसका शुरुआती तौर पर इस्तेमाल किसी कंपनी (Company) या ऑर्गेनाइजेशन (organization) में जटिल कार्य को करने के लिए किया जाता था. जैसे कि ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग (Transaction Processing), बल्क डाटा प्रोसेसिंग (Bulk Data Processing) , उपभोक्ता से संबंधित गणना करने में किया जाता था. यह सर्वर (Server), वर्क स्टेशन (workstation), मिनी कंप्यूटर (Minicomputer) और पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer) की तुलना में बहुत ज्यादा Powerful होते हैं. आज के समय में अत्याधुनिक मेनफ्रेम कंप्यूटर (Modern Mainframe Computer) एक साथ बहुत सारे सरवर (Instance) के ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating system) को चला सकते हैं. इसके लिए यह वर्चुअल मशीन (Virtual machine) तकनीक का इस्तेमाल करता है.
आकार के आधार पर कुछ और कंप्यूटर हैं जैसे कि रैक माउंट (Rackmount server), मिनी कंप्यूटर (Minicomputer), वर्क स्टेशन (Workstation), ब्लेड सर्वर (Blade server) और पर्सनल कंप्यूटर (Personal computer).
आकार के आधार पर कुछ और कंप्यूटर हैं जैसे कि रैक माउंट (Rackmount server), मिनी कंप्यूटर (Minicomputer), वर्क स्टेशन (Workstation), ब्लेड सर्वर (Blade server) और पर्सनल कंप्यूटर (Personal computer)
सरवर (Server) का इस्तेमाल मुख्य रूप से data center के अंदर होता है. डाटा सेंटर एक ऐसा स्थान होता है जहां पर एक साथ बहुत सारे कंप्यूटर्स लगे होते हैं. किसी भी डाटा सेंटर में बिजली की आपूर्ति (Electric supply) और तापमान कंट्रोल (Temperature Control) सिस्टम अवश्य होता है. इसका उद्देश्य हर समय Server को चलते रहने का होता है.
पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer) आप जानते होंगे. इस तरह के कंप्यूटर का इस्तेमाल आम नागरिक करते हैं. जैसे कि डेस्कटॉप कंप्यूटर (Desktop computer) और लैपटॉप (Laptop). इस तरह की कंप्यूटर की क्षमता अन्य कंप्यूटर की तुलना में कम होती है. इसका इस्तेमाल हम दैनिक कार्य को करने के लिए करते हैं. Personal computer की मदद से हम जरूरी काम कर सकते हैं. पर किसी भी बड़ी गणना या कार्य को करने के लिए यह सामर्थ नहीं है.
कार्य के आधार पर (Based on Work): अलग-अलग तरह के काम को करने के लिए हम अलग-अलग कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं. कार्य के आधार पर कंप्यूटर को तीन श्रेणी विभाजित करते हैं – एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer), डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer) और हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer)
सबसे पहले बात करते हैं एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) की. यह एक ऐसा कंप्यूटर होता है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से मात्राओं को मापने के लिए किया जाता है जैसे कि तापमान (Temperature), दबाव (Pressure), वोल्टेज (Voltage) इत्यादि. वोल्ट मीटर (Voltmeter) और आमीटर (Ammeter) इसके उदाहरण है.
डिजिटल कंप्यूटर (Digital computer) किसी भी कार्य को करने के लिए बाइनरी नंबर सिस्टम (Binary Number System) का इस्तेमाल करता है. इसका मतलब यह सारा कार्य 0 और 1 कि मदद करता है. आज के समय में अधिकांश कंप्यूटर जिसका हम इस्तेमाल करते हैं, वह डिजिटल कंप्यूटर है. जैसे कि पर्सनल कंप्यूटर, टेबलेट, डेक्सटॉप (Desktop) इत्यादि.
हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer) एक ऐसा कंप्यूटर है जो डिजिटल कंप्यूटर और एनालॉग कंप्यूटर से मिलकर बना है. इसका उद्देश स्पेशल कार्य को करने के लिए किया जाता है. जिसमें वैज्ञानिक गणना (Scientific Calculations), सुरक्षा प्रणाली (Defense system) शामिल है.
उद्देश्य के आधार पर (Based on Purpose) : इसके आधार पर कंप्यूटर को दो भागों में रख सकते हैं – सामान्य कंप्यूटर (General Purpose Computer) और विशेष कंप्यूटर (Special Purpose Computer) . जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है की सामान्य कंप्यूटर का कंप्यूटर होगा जिससे हम अपने दैनिक जीवन से संबंधित काम करते हैं. उदाहरण के तौर पर इंटरनेट ब्राउजिंग (Internet Browsing), मनोरंजन (Entertainment), खेल (Games), लिखना (Writing). इसके अंतर्गत टेबलेट (Tablet), नोटबुक (Notebook), लैपटॉप (Laptop) और डेस्कटॉप (Desktop) को रखते हैं.
विशेष कंप्यूटर का इस्तेमाल किसी खास समस्या के समाधान के लिए किया जाता है. जैसे कि इसका इस्तेमाल ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (Traffic Control System), उपग्रह सिस्टम (Satellite System), वैज्ञानिक गणना (Scientific Calculation), मौसम विज्ञान, कृषि विज्ञान आदि ने किया जाता है. इस तरह की कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटर की तुलना में क्षमता में कहीं अधिक होते हैं. एक ओर जहां पर समान कंप्यूटर के माध्यम से हम अपने रोजमर्रा के सारे काम को कर सकते हैं. दूसरी तरफ विशेष कंप्यूटर किसी विशेष कार्य के लिए ही बनाया जाता है.
सॉफ्टवेयर और हार्ड और हार्डवेयर (Software Vs Harware)
आपने सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का नाम जरूर सुना होगा. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है की सॉफ्टवेयर (Software) को हम टच (Touch) कर देख नहीं सकते हैं. जबकि हार्डवेयर (Hardware) को हम टच करके देख सकते हैं. कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाले Instruction या Program को हम सॉफ्टवेयर करते हैं. कंप्यूटर में जितने भी Parts इस्तेमाल होते हैं उसे हार्डवेयर करते हैं.
हार्डवेयर में मॉनिटर (Monitor), कीबोर्ड (Keyboard), माउस (Mouse), RAM, हार्ड डिस्क (Hard disk), प्रोसेसर (Processor), पावर सप्लाई (Power Supply), मदरबोर्ड (Mother Board), पेनड्राइव (Pen drive), प्रिंटर (Printer) आदि को रखते हैं.
सॉफ्टवेयर में ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System), एप्लीकेशन (Application -Ms Word, Excel, Power Point, Google Chrome, Photoshop, MySQL), गेम्स (Games Program) आदि को रखते हैं. हार्डवेयर को फैक्ट्री में बनाया जाता है जबकि सॉफ्टवेयर को इंजीनियर (Engineer) और सॉफ्टवेयर डेवलपर (Software Developer) के द्वारा प्रोग्रामिंग के माध्यम से develop किया जाता है.
हार्डवेयर को मुख्य रूप से इनपुट डिवाइस (Input device), आउटपुट डिवाइस (Output device), स्टोरेज डिवाइस (Storage device) और आंतरिक पूरजा (Internal Component) के रूप में विभाजित कर सकते हैं.
सॉफ्टवेयर को मुख्य रूप से सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software), एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) और प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर (Programming Software) के रूप में विभाजित कर सकते हैं.
कंप्यूटर की विशेषता (characteristics of computer):
अब तक आप कंप्यूटर के बारे में बहुत कुछ जान चुके होंगे. यहां पर हम बात करेंगे कंप्यूटर कुछ विशेषताओं के बारे में:
गति (Speed) : कंप्यूटर गति के मामले में इंसानों से आगे हैं क्योंकि यह लगातार काम कर सकता है जबकि इंसान काम करते करते थक जाता है और उसे आराम की आवश्यकता होती है. जैसा कि आपको पता होगा कि कंप्यूटर निर्देश (Instruction) के आधार पर काम करता है और उसे Solve करने के लिए Computer Program का इस्तेमाल करता है. इसलिए किसी काम को कंप्यूटर बहुत तेजी के साथ कर सकता है.
शुद्धता (Accuracy): हम इंसानों द्वारा किए गए काम में गलती होने की संभावना है पर कंप्यूटर किसी खास प्रोग्राम के आधार पर काम करता है इसलिए उसके द्वारा किए गए काम में Accuracy होती है.
विश्वसनीयता (Reliability): अगर हम कंप्यूटर को एक ही आंकड़ा कई बार भी दें तब भी उसका रिजल्ट एक ही होगा क्योंकि एक निश्चित निर्देश पर काम करता है.
मेमोरी (Memory) : कंप्यूटर के पास भी अपना मेमोरी होता है. इसकी क्षमता हम अपने आवश्यकता के अनुसार कम या ज्यादा कर सकते हैं. कंप्यूटर मेमोरी का इस्तेमाल प्रोसेसिंग डाटा को store करने के लिए करता है.
भंडारण क्षमता (Storage Capacity): हम इंसान किसी बात को भूल सकते हैं पर कंप्यूटर के साथ ऐसा नहीं है. वह data को store करने के लिए storage device का इस्तेमाल करता है. हम अपने जरूरत के अनुसार Computer system के Storage capacity को बढ़ाओ घटा सकते हैं. जब भी हमें Stored data की जरूरत होती है, तब कंप्यूटर अपने storage device से वह डाटा हमें उपलब्ध करा देता है.
विविधता (Versatility): कंप्यूटर एक साथ कई सारे कामों को बड़ी सटीकता के साथ कर सकता है. वह भी बिना किसी गलती किए हुए.
स्वचालित (Automation) : कंप्यूटर में ऑटोमेशन के माध्यम से हम किसी भी कार्य को किसी निश्चित समय पर स्वचालित होने का निर्देश दे सकते हैं. यह आज के समय में बहुत ही ज्यादा उपयोगी है.
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Computer Programming Languages)
जैसा हमने जाना की कंप्यूटर निर्देश (instruction) के अनुसार काम करता है. कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए जिस माध्यम का इस्तेमाल करते हैं उसे कंप्यूटर प्रोग्राम (computer program) कहते हैं. इस प्रोग्राम को लिखने के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल होता है उसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (computer programming languages) कहते हैं.
आसान भाषा में कहा जाए तो Computer programming languages कंप्यूटर की भाषा में निर्देश देने का एक साधन है.
कंप्यूटर को पूर्ण करने के लिए बहुत सारे भाषा का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें से कुछ महत्वपूर्ण है – Python, Java, C, C++, C#, Ruby On Rails, HTML (Hypertext Markup Language), JavaScript, PHP (hypertext Preprocessor), SQL (Structured Query Language), Swift, etc
कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम (Computer operating system)
Operating system कंप्यूटर हार्डवेयर और user के बीच का interface है. यह एक सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर से संबंधित सारे कार्य को control करता है. जैसे file management, memory management, process management और input & output को नियंत्रित करना या कंप्यूटर संबंधित उपकरण (peripheral devices) को control करना.
Operating System के उदाहरण है – Windows, Linux, Android, macOS
कंप्यूटर मेमोरी यूनिट (Memory Unit of Computer):
जिस तरह सभी चीजों को मापने के लिए की गाई होती है ठीक उसी तरह कंप्यूटर की मेमोरी को भी मापने की इकाई होती है. इस इकाई के माध्यम से हम कंप्यूटर की मेमोरी की क्षमता को नाप सकते हैं
1 बिट (Bit) – 0 , 1
4 बिट (Bit) – 1 निंबल (Nibble)
1 बाइट (Byte) – 8 बिट (bits)
1 किलोबाइट (KB) – 1024 बाइट (Bytes)
1 मेगा बाइट (MB) – 1024 KB
1 गीगाबाइट (GB) – 1024 MB
1 टेराबाइट (TB) – 1024 GB
1 पेटाबाइट (PB) – 1024 TB
कंप्यूटर का पीढ़ी (Generation of Computer):
कंप्यूटर को विकास के आधार पर अलग-अलग Generation में रखा गया है.
First Generation – इसकी अवधि 1946-1959 तक रहा. इस तरह के कंप्यूटर मुख्य रूप से Vacuum tube based होते थे.
Second Generation- इसकी अवधि 1959-1965 तक रहा. इस तरह के कंप्यूटर मुख्य रूप से Transistor based होते थे.
Third Generation- इसकी अवधि 1965-1971 तक रहा. इस तरह के कंप्यूटर मुख्य रूप से Integrated Circuit based होते थे.
Fourth Generation – इसकी अवधि 1971-1980 तक रहा. इस तरह के कंप्यूटर मुख्य रूप से VLSI microprocessor based होते थे.
Fifth Generation – इसकी अवधि 1980- अभी तक है. इस तरह के कंप्यूटर मुख्य रूप से ULSI microprocessor based है.
कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer):
कंप्यूटर हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है. क्या हमने तो सोचा किस की शुरुआत कब हुई होगी. कंप्यूटर किस तरह समय-समय पर अपने आप को बदलता है. और आज कंप्यूटर का जो स्वरूप हमारे सामने हैं वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली (Powerful) और सक्षम है.
इस बात को मानने में भी कोई संदेह नहीं है की आने वाला कुछ साल में कंप्यूटर आज की तुलना में कई गुना ज्यादा विकसित होगा. पर इसकी शुरुआत ऐसा नहीं था. आज के समय में जो काम हम अपने स्मार्टफोन (Smart Phone) की मदद से कर लेते हैं. पहले इसी काम को करने में कंप्यूटर असमर्थ था.
कंप्यूटर के स्वरूप में और कार्य क्षमता में सबसे ज्यादा बदलाव Internet के आने के बाद होगा. आज हम बहुत ही आसानी से Email, Chat, Social networking, Gaming, आदि अपने कंप्यूटर के माध्यम से करते हैं.
1801: फ्रांस में, जोसेफ मैरी जैक्वार्ड ने एक करघे का आविष्कार किया जो कपड़े के डिजाइनों को स्वचालित रूप से बुनने के लिए छिद्रित लकड़ी के कार्ड का उपयोग करता है. प्रारंभिक कंप्यूटर में भी इसी तरह के पंच कार्ड का इस्तेमाल हुआ था
1822: अंग्रेजी गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने भाप से चलने वाली गणना मशीन की कल्पना की, जो संख्याओं की तालिकाओं की गणना करने में सक्षम होगी
1890: हरमन होलेरिथ ने 1880 की जनगणना की गणना करने के लिए एक पंच कार्ड प्रणाली को डिज़ाइन किया, जो कि केवल तीन वर्षों में कार्य को पूरा कर लिया और सरकार का $ 5 मिलियन का बचत किया. आगे चलकर उन्होंने कंपनी की स्थापना की जो अंततः IBM बना.
1939: डेविड पैकार्ड और बिल हेवलेट के द्वारा हेवलेट-पैकार्ड (Hewlett-Packard) की स्थापना की गई.
1953: ग्रेस हॉपर (Grace Hopper) ने पहली कंप्यूटर भाषा विकसित की, जिसे अंततः COBOL के रूप में जाना जाता है.
1954: IBM कंपनी के प्रोग्रामर के द्वारा FORTRAN programming language का विकास किया गया.
1958: Jack Kilby और Robert Noyce के द्वारा integrated circuit का विकास किया गया. जिसे कंप्यूटर चीप (computer chip) भी कहा जाता है.
1969: Bell Labs के सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर द्वारा UNIX का निर्माण किया जाता है.
1976: स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक (Steve Jobs and Steve Wozniak ) ने एप्पल कंप्यूटर की शुरुआत की
1981: पहला आईबीएम पर्सनल कंप्यूटर launched किया गया, जिसका नाम “एकोर्न” था. इसमें माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) द्वारा बनाया गया MS-DOS ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) का उपयोग किया गया था.
1983: Apple Company ने Lisa नाम का पहला पर्सनल कंप्यूटर (personal computer) Launched किया. इस कंप्यूटर में GUI (Graphical User Interface) के साथ-साथ drop-down menu और icons भी थे.
1985: पहला डॉट-कॉम डोमेन नाम 15 मार्च को पंजीकृत (Registered) किया गया. इसका नाम Symbolics.com है
1990: Tim Berners-Lee के द्वारा World Wide Web (WWW) और HTML (HyperText Markup Language) का आविष्कार किया गया.
1996: Sergey Brin and Larry Page के द्वारा Google search engine का विकास (develop) किया गया.
1999: WIFI की शुरुआत की गई. इसके माध्यम से कंप्यूटर बिना किसी वायर (without wire) की मदद से इंटरनेट से जुड़ सकता था.
2001: Apple ने Mac OS X ऑपरेटिंग सिस्टम (operating system) का Announcement किया
2003: AMD’s Athlon 64 के रूप में पहला 64-bit processor मार्केट में introduced हुआ.
2005: YouTube जो कि एक video sharing service platform की शुरुआत हुई.
2006: Apple ने MacBook Pro और iMac. मार्केट में launch किया
2009: Microsoft ने Windows 7 launch किया
2010: Apple ने iPad की शुरुआत की
2011: Google ने Chromebook launch किया. जो कि एक Chrome based os लैपटॉप था.
2012: 4 अक्टूबर को Facebook ने 1 billion users पूरे किए.
निष्कर्ष (Conclusion)
इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना की “कंप्यूटर क्या है” (What is computer). मुझे उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए helpful होगा. कंप्यूटर से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में यह आपके सहायक होगा. अगर आपके पास इस पोस्ट के संबंधित कोई भी विचार या प्रश्न हैं तो जरूर कमेंट (Comment) करें. इस पोस्ट का लिंक अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि उन्हें भी Basic Computer की जानकारी हो सके.